मेघदूत में कालिदास ने आदर्श प्रेम का चित्रण किया है। निःस्वार्थ प्रेम का जैसा चित्र मेघदूत में देखने को मिलता है वैसा और किसी अन्य काव्य में नहीं। मेघदूत के यक्ष का प्रेम निर्दोष है, ऐसे प्रेम से क्या नहीं हो सकता है? प्रेम से जीवन पवित्र हो सकता है। प्रेम से जीवन का अलौकिक सौंदर्य प्राप्त हो सकता है। प्रेम से जीवन सार्थक हो सकता है। मनुष्य प्रेम से ईश्वर-संबंधी प्रेम की उत्पत्ति भी हो सकती है। यह काव्य उच्च प्रेम का सजीव उदाहरण है।